मन पर नियंत्रण करने के लिये भी मन का ही उपयोग करना पडे़गा। मन से बाहर जाने के लिये भी मन का उतना ही उपयोग करना होता है जितना कि मन के अन्दर आने लिये लिये।।।।।।। जो मन में उतरने के लिये करता है उसके लिये मन ज्ञान का आधार बन जाता है।।।।।
समाज के भीड़ से हम हट जाये, तो भी भीड़ हमारे अन demás छिपी हती है।।।।।।।। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि भीड़ में बैठे हुये भी हम एकांत में हों, और ऐसा भी हो सकता है कि एकांत में हो और भीड़ में बैठे।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। इस भीड़ में भी कोई अगर शांत होकर बैठ जाये और अपना स्मरण करे तो दूसरे व्यक्तियों को जायेंगे। इस भीड़ में भी बैठकर कोई अगर अपने स्मरण से भर जाये, तो दूसरों का स्मरण खो जायेगा। क्योंकि मन की एक अनिवार्य क्षमता है कि एक क्षण में मन के समक्ष एक ही मौजूद हो सकता है।।।।।।।।।।।।। अगर मैं अपने मन को अपनी ही मौजूदगी से भर दूं, तो दूसरे गैर-मौजूद हो जायेंगे। चूंकि मैं अपने मन में मौजूद नहीं होता, इसीलिये दूसरों की मौजूदगी बनी रहती है।
एकांत का मतलब बहुत गौण है। एक ऐसी जगह बैठ जाना, जहां दूसरा मौजूद न हो। यह जगह बाहर की कम और अन्दर की ज्यादा है, यदि तुम बाजार में भी बैठे हो और तुम्हारे मन में दूसरा मौजूद न हो, तो तुम एक एक में हो।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrico eléctrico और ध्यान रखनok कि अगर बाजार में बैठकर एकांत नही हो सकता, तो एकांत में भी एकांत नहीं हो सकेंगे।।।।।।।।
क्योंकि मन क mí जहां हम नहीं होते हैं, वहां होने की आकांक्षा हो्षा होोह इसीलिये अक्सर ऐसा होता है कि बाजाgres में बैठे हुये तुम सोचते हो, एकांत में तो तो कितना अच्छा होता और एकांत में बैठे हुये तुम ब बाजार की कल्पना से भर जाते।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।. हम जहां होते हैं मनुष्य का चिंतन होन mí जो मेरे मन में हो, वही मेरी वाणी में हो, मेरी वाणी मेरी अभिव्यक्ति बन जाये। मैं जैसा भी हूं, अच्छा या बुरा। वही मेरी वाणी से प्रकट हो। मेरे शब्द मेरे मन के प्रतीक बन जाये। बहुत मुश्किल लगता है। जीवन भर हमारी कोशिश रहती है अपने आप को छिपाने की और जब हम बोलते तो तो यह क्यों जरूरी नहीं कुछ कुछ बताने को बोलते हों।।।।।।। हों हों हों हों हों हों हों हों हों हों हों हों हों हों हों बहुत बार तो झूठ भी बोलते है।
मन का वाणी में ठहरने का अर्थ यह है कि जब मैं बोलना चाहूं तब मेरे भीतर मेरा मन हो! और जब मैं न बोलना चाहूं तो मन भी ना रहे। जब आप चलते हैं तभी आपके पास पैर होते हैं। आप कहेंगे, नहीं जब नहीं चलते हैं तब भी पैर होतइ है लेकिन उस समय उनको पैर कहना सिर्फ कामचलाऊ है। पैर वही है जो चलता है। मन अभिव्यक्ति करने का माध्यम है। जब तुम बोल नहीं रहे होते, प्रकट नही कर रहे होते, तब मन की कोई भी जरूरत नहीं होती।।।।।।।।।।।।। लेकिन हमारी आदत बन गई है सोते, जागते, बैठते मन ात่ह पागल मन है हमारे भीतर। आप अपने मालिक इतने भी नहीं कि तुम्हाisiones व्यक्तित्व में क्षमता और शक्ति का प्रवाह होगा।
जब भी व्यकorar इसीलिये जो अपने आप को भला व्यक्ति मानकर बैठा है, वह भीतर जा ही न सकेगा। क्योंकि आपकी भले मानने की मान्यता ही डर पैदा करेगी कि यहां भीतर गये तो बुराईयों का सामना करना पड़ेगा और जो सामना करने से डरता है है भीतatar नहींnas वर्तमान समय में सांसारिक मनुष्य अपने बाहर भटक ¢ है, फिर भी वह संतुष्ट नहीं।।।।।।।।।।।।। बाहर भटकने का मतलब यह नहीं है कि आप संतुष्ट हो, दुःखी तो आप हो ही, भीतर गये तो और दुःखी होना पडे़गा। क्योंकि वहां अपनी बुर marca इसलिये आप बाहर जीते हो, अपनी ही बुद्धि से अपने आप को सही साबित कर बुराईयों को ढ़कने का पूरा प्रयास करते हो।।।।।।।।।।।। वही व्यक्ति भलाई के शिखर को, गुणों शिखatar
खाई से बचने के दो उप siguez जैसे भी हो अच्छे-बुरे, अमीर-गरीब वैसे ही जीवन बिता दो, आप वही जीवन जीना भी चाहते हो।। मैं लाख प्रयास करूं दो दिन बाद आप फिर वही पहुँच जाते हो, मैं आपको बार-बार वहां से निक निक के लिये प प्रयास razón हूं आप मुझे बुद बुद निक से से से से से से से से से में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में ही में में में में में हो, जबकि ऐसा नहीं है कि आपके ऐस mí शिखर पर ना पहुँच जाये ठहरूंगा नहीं जब तक मेरा कार्य पूenas न ज जाय। मेरा कार्य है आप को शिखर पर पहुँचा देना। यदि आप वैसे जीवन बित mí दूसenas उपाय यह है कि खाई में प्रवेश करों, प्रवेश करके गुजरना है, रूकना नहीं।।।।।।।।।।।।।।। लेकिन खाई से मुक्त होने के लिये खाई से गुजरना पॼ
जीवन में अगर मलिनता और बोझिलता रहेगी तो जीवन नीरस ही रहेगा। सांसारिक क्रियाओं में आनन्द व सुखी जीवन की आकांक्षा सभी होती है है है पर उसकी उपलब्धि तभी संभव है हम अपने अपने दृष्टिकोण की त त्रुटियों समझें औ और उन ender सुध सुध सुध क प प प favoría क क क।।। समझें औezas श् Est. नूतन वरorar. जिससे आपक mí
मेरे सभी मानस पुत्र-पुत्रियों को नूतन वenas की की शुभकामनाओं के साथ मंगलमय आशीर्वाद
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