हम दुःखों और तन siguez हम समाज की उस दुरorar. और तनावों की दुर्गन्ध में रम जाते हैं, क्योंकि यही हमारी नियति बन गई।।।।।।।।।।।।।।
मैं पिछले कई जन्मों से तुम्हाisiones बिना प्राणों के शरीर को जल्दी से जल्दी उठा कर श्मशान में ले जाने को आतुर हो जाते है और बिना गुरू स्पन्दन के तुम्हारा शरीर भी एक खोखला, प्राण रहित, मात्र रक्त मज्जा का शरीर रह गया है ऐसा शरीर चलता-फिरता तो है, पर जिसमें आनन्द नहीं है, ऐसा शरीर जो परिवार से उपेक्षित है, न बेटे को जरूरत है, न सगे-समgon है है को इसकी अनिवारorar. घसीटते-घसीटते श्मशान तक ले जाने के लिए तुम प्रयत्नशील हो औecer
इसीलिये तो कहता हूँ, कि तुम्हाisiones शायद तुमको प्रagaण शब्द का अर्थ ही नहीं पता होगा, तुमको प्रagaण वायु का भीatar. । ¡Adelante! वह प्रagaणों का एक समुच्चय होता है, भावनाओं का और संवेदनाओं का घनीभूत स्वरूप होता है जिसका स्पन्दन प्रagaण वायु से हो हो सकता है लेकिन यह प पguna व ° utoण व व संभव हो सकत सकत है लेकिन यह प प ve व तुम uto कह मिलेगी से हो सकत सकत है लेकिन यह प प पguna व तुम uto कह मिलेगी से हो हो सकत है है यह प प प uto व व तुम कह कह मिलेगी से क्या तुम्हारे
इकट्ठा किये हुए चांदी के ठीकरों से या अपने उन रिश्ते नातेदारों से जिनसे तुम्हाisiones एक सामाजिक समायोजन शास्त्री भर ही तो होता है परिवार, यही तो कहते है तुम्हारे समाजशास्त्री भी व्यर्थ है उनसे उम्मीद करना कि वे तुम्हारे प्राण स्वरूप हो और गुरू को तुम भले ही भौतिक रूप में देखो और पहचानो, लेकिन वही होता है प्राणों का घनीभूत स्वरूप , जहां से होता है तुम्हाisiones इसीलिये तो तो कहता हूँ कि मैं म मात्र देखने की वस्तु नहीं हूं, इसीलिये तो कहता हूं, कि मैं मात्र स्पर्श करने क Davidamente द नहीं।।।।। हूं. ऐसा तो तुम कई-कई वरorar वाली सुगन्ध को पहच siguez
जब तुम अपने आप को शक्तिहीन अनुभव करो, जब तुम अपने आप को मृत तुल्य अनुभव करो, तब तुम मेरे साथ प्रकृति की तί एकendr लौट जाओं मुझसे नया जन्म प्राप्त करके, मैं तुम्हारा परिवार, तुम्हारा परिवेश छीनना नहीं चाहता, तुम्हें उसी में सुरक्षा अनुभव होती है तो मैं उसमें बाधा नहीं बनूंगा, मैं ऐसा चाहूंगा ही नहीं कि तुम्हारे मन में कोई घुटन रह जाये, पर इतना अवश्य चाहूंगा कि तुम जिस तरह से मेरे पास आये थे उस तरह से वापस न जाओ और यह खुद तुम जानते हो कि तुम जब मेरे पास आये थे तो कैसे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे मैं तुम्हें तुम्हाisiones छोटी बातों पर लड़ने-झगड़ने की वैसी ही प्रवृतियां है, उनकी आँखों में वैसा ही संदेह, वैसा ही चौकन्नापन है, वे जरा सा भी नहीं बदले है और वे भी नहीं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। eléctrico eléctrica
क्योंकि उनके प siguez उमंग होगी, तुम्हाisiones ¿Está bien? वे आश्चर्यचकित होंगे?
मैं कह रहा हूँ कि तुम्हें मृत नहीं होना है, इसीलिये मैं कह रहा हूँ कि तुम्हें अपनी जिन्दगी घसीटते हुए नहीं बित • देनी, तुम्हें सुगन से से ज की की सुगन औ razón उसी समाज में लौट आना है, उन लोगों को भी इस त mí और यह तुम कर सकते हो, क्योंकि तुम दैविक सुगन्ध के भण्डार से हो हो, साधनाओं के प्عL.
जब तुम अपने आप को अटका हुआ महसूस करो, तब तुम्हें बिना हिचकिचाहट के मेरे पास आ जाना चाहिये तबthहें उस-गले सम सम अपने त razón की सुगन्ध से, मेरी चेतन mí तब तुम बहती हुई नदी के गायन को सुन सकोगे, तब तुम समाधि की चेतना में अपने प्रagaणों को आप्लावित कर सकोगे, तब तुम्हारे संदेह सकेंगे।।।।।।।।।।।।।।।। सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे सकेंगे eléctrica
अब भी समय है, अब भी तुम जाग सकते हो, अब भी तुम मेरे साथ नाच सकते हो हो अब तुम मे मेरे साथ झूम सकते हो, मेरे साथ प्रकृति का संगीत सकते हो हो संगीतatar. लहरियों को आत्मसात कर सकते हो, और जो शरीर मां-बाप के सुख सुख से उत्पन्न हुआ है है जोरीर एक संयोग है है है है भी प आने आने स स क क क क क क क क मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क. की, मेरे साथ बैठने की की, मेरे साथ आनन्द प्रagaप्त करने की और मेरे प्रagaणों से अपने अपने प्रagaणों को एक एकguna कuela की की की की की की की की की की की की की की की की की की की.
और जब तुम ऐसा कर लोगे, तब तुम्हारे शरीर से एक प्रकाश फुटेगा, तब तुम्हारी आत्मा से ज्ञान का सूर्य उदय होगा, तब तुम्हारे रोम-रोम से आनन्द की लहरियां पूरे समाज में फैल सकेंगी, तब तुम बुद्ध बन सकोगे, तब तुम शंकराचार्य बन सकोगे, तब तुम जीवन्त व्यक्तित्व बन सकोगे और तुम ऐसे बन सको, मेरा ऐसा ही आशीर्वाद प्रत्येक क्षण तुम्हारे साथ है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
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