हम सबका जीवन कहानियों सरीखा होता है। हर कहानियों में फीके और गाढ़े रंग हैं। उदासी और उत्साह के रंग, खुशी, निराशा और कुंठा का चहकते हुये क्रिया से ही जिंदगी आगे है, और जिंदगी के कैनवास की की ेख • अलग-अलग आक gaste आक हैं।।।।।। हैं हैं।।।।। हैं। हैं।।।।। हैं हैं।। हैं।।।।।।.
बस एक फर्क होता है-कुछ लोग जिंदगी में आयी मुश्किलों से टूट जाते हैं, उनसे ह fl. प्रतिकूल acer उदाहरण बनते हैं, हम सभी के लिये दुनिया ऐसी कहानियों से भरी पड़ी है। हमारे ही इर्द-गिरorar. दरअसल दुनिया को ऐसे ही लोगों ने गढ़ा है, ऐसे ही लोगों ने जिंदगी को ज्य eflo
अच्छे काम के लिये धन की कम आवश्यकता पड़ती है, पर अच्छे हृदय और संकल्प की।।।।।।।।।।। एक गांव का मामूली किशोर नाम का लड़का था उसे खेतों में काम करना पड़ता था। ज्यादा पढ़ाई-लिखाई नहीं हो सकी थीं मशीनों में खास ¢ थी थी, जबकि पिता को ये बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। 12-13 पिता से अनबन ज्यादा रहने लागी, तो वह खाली हाथ गहर ाहर
एक फैक्ट्री में सहायक मैकेनिक की नौकरी मिल गयीी पैसे बहुत मामूली थे। दिन भर फैक्ट्री में काम करते और inar सारे पैसे मशीनों के लिये सामान खरीदने में खरऍच রाच ाा वैसे उसको उस जमाने में बहुत कम पैसे मिलते थे। पत्नी भी उसके इस रंग-ढंग से परेशान हो गई। उनके घर से ¢ में जिस तरह से ठोका-पीटी की आवाजें आती, तो लोग उसे पागल समझने।।।।।।।।।।। कोई उससे बात करना पसंद नहीं करता था। कोई कुछ भी समझता रहे, पर उसे कोई फर्क नहीं पड़थाा कोई फर्क अजीब से दिन थे ये उसके उसके, दिन-र जमकर काम करने के चलते स्व eflo. जब वह अपनी खुद की मोटर बनाने पecer कुल मिलाकर न तो उन्हे पिता पसंद करते थे, न पड़ोसी और न फैक्ट्री में।।।।। सभी को लगता था कि उसके दिमाग का स्क्रू कई साल वे यूं ही तिरस्कार में जीते रहे। फैक्ट्री में उनके हुनर की तारीफ तो होती थी, लेकिन हर किसी की शिक tomar. वह अपनी ही धुन में मस्त रहता था।
उसकी जिंदगी उस कमरे में सिमटती जा रही थी, जिसे उसका वर्कशाप कहना ज्यादा ठीक होगा। उसको सबने कहा कि कutar पर हालात उल्टे ही थे, लेकिन कोई उन्हें डिगा नहऀं ाया आर्थिक तंगहाली भी नहीं। शुक्र है कि इन हालात में उनकी पत्नी ने उनका भरपूर साथ दिया। फिर एक दिन वो आया, जब उन्होंने एक मोटर बनाई, उसे दौड़ाकर भी दिखाया। बस ये उनकी जिंदगी का टर्निग प्वाइंट था, यहां से सब कुछ बदल गया। उन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कारें बनाई। हर कोई इसे खरीद सकता था। बाद में उन्होंने दुनिया भर के उद्योगों को ऑटोमेशन क mí जब उनकी मृत्यु हुई, तो उस समय तक वे दुनिया के सबसे शोहरतमंद और धनी शख्स थे। कहा जाता है कि उनके इरादे लौहपुरूष की तरह पक्थे
एक बार फिर साबित हुआ कि जो खराब हालात में धैर्य और खुदी को बुलंद ¢ endr अगर पत्थर पर लगातार रस्सी की रगड़ से निशान उभतहॆ ॆ ¿? जहां सभी के लिये पर्याप्त अवसर और पर्याप्त रास्ते हैं, अक्सर हम बाधाओं से तब टकराते रहते हैं, जब सही रास्ते की तलाश कर रहे होते हैं और सही रास्ता मिलने पर सफलता की ओर हमारे पैर खुद ही बढ़ने लगते हैं, लेकिन अक्सर इस तलाश में ही बहुत सा rod "
असंभव कुछ नहीं जब तक आप जिंदा हैं तब तक सब कुछ संभव हैं-असंभव कुछ नहीं। सफल लोगों की कह sigue " याद रखिये-
अपेक्षाओं को दूर -अपनी अपेक्षाओं को कम करिये। ये भी तय है कि जिन्हें जल्दी और बगैर मेहनत के सफलता मिलती हैं। उन्हें वह उतनी ही जल्दी गंवा भी देते हैं। उनके लिये ये स्थायी नहीं हो प mí. सफल लोगों का ये कहन mí
आप जितना सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा मजबूत हैं अक्सर आपको लगता होगा या आप कभी-कभार सोचते होंगे कि आप इतना दबाव बर posterir आपको लगता है कि आपने सब कुछ कecerg शायद इसका जवाब खुद से मांगिये- जवाब में आप खुद महसूस करेंगे कि आपने अपना सौ फीसदी नहीं दिया है।।।।।।। कसर कहीं है-कहां है वो भी आप खुद-ब-खुद अपने अंदर महसूस करेंगे। जब आप सौ फीसदी देने लगेंगे तो परिणाम अलग ढंग से सामने आयेगा। आप सबसे झूठ बोल सकते हैं, लेकिन अपने आप से नहीं। ¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿¿ अगर आप सौ फीसदी हैं और वांछित परिणाम नहीं पा रहै तो भी हताश होने की जरूरत नहीं है।
अगर आप खुद से संतुष्ट हैं और आपको लग ominó मेहनत लगती है। अक्सर जीवन में हम भंवर में फंस जाते हैं। ऐसा लगता है कि संभावनाओं से भरे हुये सारे दरवाजे बंद होते जा रहे हैं (वास्तव में ऐसा होता नहीं हैं) वे अवसर ूपी द द sigue अक्सर ऐसी स्थिति पहले निराश करती है, फिर कुंठा देती है, और तन-मन को निराशाओं से भरने लगती है बिखराव शुरू हो ज va है। है। है है।। है है है है है।। है है है है है है है है है।।। है है है है है है है। है है। है है है है है है है। है। हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो. चû ender बदलने लगता है, लेकिन कुछ लोग इन्हीं स्थितियों में मजबूत होते हैं और खराब समय को ही अपने को स्वर्णिम ढ़ग से से ¢ endr
ध्यानचंद जिस पृष्ठभूमि से आये थे, उसमें खेल का कोई नामो निशान नहीं था। सेना में गये, तो एक खेल चुनना था, उन्होंने हॉकी च॥ी च॥ फिर दिन-रात एक करके हॉकी का अभ्यास किया। सुबह उठने से पहले लोग ध्यानचंद को मैदान पर अकेले गेंद के साथ ड्रिबलिंग करते देखते।।।।।।।।।। चांदनी रात की रोशनी में अभ्यास कर रहे होते थे। उनके मन में बस यही विचार था कि ये खेल ही है, जो उन्हें आगे ले जा सकता है। दृढ़ इच्छाशक्ति ने संकल्प और समर्पण बढ़ाया। फिर दिनो दिन अभ्यास से ध्यानचंद अपनी बटालियन और सेना के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बन।।।।।।।।।।।।।।।। जब दृढ़ इच्छ eflo से निकालकर अलग खड़ा कर दिया। एक दिन में या कुछ हफ्रतों में कुछ भी नहीं बदलता, अगर लंबी सफलता चाहिये तो बगैर उम्मीद किये लंबे समय डटे डटे रहना होता है।।।।।। है।।।।। इच्छाशक्ति दरअसल एक ऐसी ऊर्जा है, जो आपके बिखरे हुये अनियंत्रित विचारों को एक दिश mí
ढेरों उदाहरण हैं जो ये बताते हैं कि वाकयी हर साधक, शिष्य अपने आपको बदलने में सक्षम होता है, बशर्ते अगर वह खुद खुद ऐस razón च marca तो आप शु ू एक औ एक औ औ औ औ क क बढ़ क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क । ये भूल जाइये कि कौन क्या सोचेगा और क्या कहेगा।
Shobha Shrimali
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